Wednesday, 9 June 2010

कोई नहीं अपना

क्या तलाश करते हो यहाँ .....
कोई भी यहाँ अपना नहीं .....
मर कर जब जाना यहाँ से तो क्या तलाश है .....
अपना और पराया बकवास है .....
सब यही रह जायेगा .....
ना कुछ साथ आया ना साथ जायेगा ... ...
बस इस संसार मे अपनों की मोह माया में ......
समय व्यर्थ हो जायेगा ......
विश्वास ना करना कभी किसी पर ......
विश्वास ही धोखा खिलाएगा .......
मिलेगा कोई अपना कभी सच्चा .......
ये सपना ही रह जायेगा ....
जिंदगी का जब टूट जायेगा सपना...
तब अहसास होगा की कोई नहीं अपना...

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पैसा ही सरकार

व्यापार बना जीने का आधार... हर चीज का बना लिया व्यापार... सब मरने मारने को है तैयार.. पैसा ही घर बार और बना गया जिगरी यार... क्यूंकि करते है...