Saturday, 6 July 2024

बदल गया सारा संसार

एक दौर गया कुछ सालों मे...

सब उलझ गया सवालों मे...

जो शिक्षा दीक्षा थी सही गलत की...

वो बस पाई जाती है ख्यालों मे...

नियम पराये हमने अपनाये...

खुद उलझें इनके जालों मे...

ना अपना धर्म ना अपने संस्कार...

बस आधुनिकता बनी व्यापार...

सांसे भी ले रहे उधार...

बदल गया सारा संसार...

जिंदगी मौत से बदतर हो गई...

सारे संसार की मानवता खो गई...

जिन्दा हो कर जो जिन्दा नहीं...

इंसान फिर भी दरिंदा नहीं...

क्या पर्दा आँखो पे गिरा के बैठे....

सच दुनिया मे दिखता नहीं....

फिर भी इंसान अंधा नहीं....

चले आगे अपनों को छोड़...

ना कोई साथ बस लगी है होड़...

मैं ही मैं बस बाकी है ...

मर मर कर जीना काफी है... 

इंसान दिमागी तोर से है बीमार..

बदल गया सारा संसार..

इंसान जगत मे आया क्यों...

ये प्रश्न समझना बाकी है...

खोज रहे बस मौज यहाँ...

जीवन भर उठा कर बोझ यहाँ...

कोई हमको अपना नहीं लगता...

कैसी ये नाइन्साफी है...

बस पैसा पैसा दिखता है...

और जीवन मे क्या बाकी है...

हम खुद ही खुद को भूल रहे...

बीच भंवर मे झूल रहे...

रिश्ते नातों की कदर नहीं...

जीते ज़ी करते सब्र नहीं..

ना भाई भाई  ना बेटा बाप ..

ना बहन भाई ना बाप बेटी मे बचा कोई प्यार ..

बदल गया सारा संसार..

वक़्त बदला अब ऐसा है..

सबकी जगह अब पैसा है..

ये गलती सब पे भारी है...

की मुझसे ही दुनियादारी है..

मैं ही दुनिया मे अकेला हु...

ये सोच एक बीमारी है...

आए अकेले अकेले ही जायेंगे...

पर निभानी दुनियादारी है...

इंसान आज का अभिमानी है...

बेईमान और झूठ फरेब हर तरफ की कहानी है...

सबको कह देते बेखौफ ये बाते..

ये बात कभी खुद ने मानी है...

खुद ही खुद के दुश्मन है...

पर दुनिया से दुश्मनी निभानी है...

क्या गजब इंसान हो रहे है तैयार..

बदल गया सारा संसार...

हमसे ही सच्चाई है और हमसे ही अच्छाई है..

हम ही वो भुगतेंगे जो बुराई हमने फैलाई है....

घुम फिर के हमको ही...

इस दुनिया से वापिस जाना है...

ये बात सभी को है पता..

और सबने भी ये माना है...

रास्तो पे चलते चलते...

मर जाना है मिट जाना है...

तो बुराई क्यों कमानी है..

 क्या साथ ले कर जाना है...

क्यों बुराई का हम करते नहीं तिरस्कार..

क्यों खुद की खुद से जंग की नहीं करते ललकार..

क्यों हम नहीं करते खुद मे ही सुधार...

क्यों बदल लिए अपने संस्कार...

क्यों बदल गया ये सारा संसार..








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व्यापार बना जीने का आधार... हर चीज का बना लिया व्यापार... सब मरने मारने को है तैयार.. पैसा ही घर बार और बना गया जिगरी यार... क्यूंकि करते है...