चलना होगा हमको अकेला..
क्योंकि साथ कोई ना जायेगा...
जीवन भर के दुःख दर्द को...
कोई और ना सहने आयेगा...
पीड़ा तन मन की व्यथा सुनकर भी...
कोई साथ नहीं दे पायेगा...
जो जीवन भर साथ निभायेगा...
वो काल चक्र कहलायेगा.. 2..
आएंगे जाएंगे उठेंगे बैठ जायेंगे...
जो रात को चैन से सोने के लिए...
पूरे दिन भर खूब कमाएंगे...
जब तक दिल की चाहत पुरी ना हो...
वो मरते जायेंगे मिट जायेंगे...
पर फिर भी इन आँखों से पर्दा...
कोई नहीं हटायेगा...
कठिन डगर को आगे बढ़ते..
कोई पार नहीं ले जायेगा...
जो जीवन भर साथ निभायेगा...
वों काल चक्र कहलायेगा... 2
इस काल चक्र की सुनो गवाही..
ना जाने कितने जन्म मरण...
देखी कितनी दुनिया की तबाही...
ना जाने कितनी बार दुनिया इसके आगे...
जल कर बन गई स्याही ...
कितनी बर्फ सागर से जमती...
वापस सागर मे पिंघल कर आई ...
इसकी निगाहों से दुनिया मे....
कोई कभी नहीं छिप पायेगा...
ये किसी भी क्षण तुमको...
मुक्ति हर दुःख से दिलायेगा...
अंतिम क्षण तक जो साथ देगा...
और साथ तुमको ले जायेगा...
वों काल चक्र कहलायेगा....2
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