क्या देश में कोई सही से दायित्व का निर्वाह कर रहा है...
जिसके पास होना चाहिये दायित्व क्या उसी को मिल रहा है...
क्या घर परिवार की समझ वाला देश को परिवार समझ रहा है...
जिसने बस देखा व्यापार हो बस देश में व्यापार कर रहा है...
हर चीज में मुनाफा ढूंढ़ रहा है इंसान व्यापारी बन रहा है...
कहने को मेरा देश विकास करता हुआ दुनिया में आगे बढ़ रहा है...
नज़रों पे पर्दा गिरा दिया समाज को चुपचाप बदल रहा है...
पैसो को बना के सर्वोपरि आदर्शो को भुला दिया है...
किसकी कमी है ये की पैसा सबसे प्यारा है..
कभी भाईचारा सर्वोपरि था अब पैसा ही बना भाईचारा है...
नैतिक मूल्यों की बाते सबसे पहले हमको सिखलाई जाती थी...
खुद नैतिकता छोड़ के समाज को खोखला कर रहा है...
बस पैसा सबसे बडा है सरकार ने समझाया है...
पैसो की खातिर भाई को भाई से लडवाया है..
हर चीज पर कर लगाया है जन्म से मृत्यु तक पैसा हमसे कमवाया है..
बदले में सिर्फ मुनाफे में कर ही हिस्से आया है...
कभी आय कभी चूल्हा कभी खरीद फिरोक्त कभी सम्पति कर...
कभी पर्यावरण कभी स्वच्छता कभी उपभोक्ता कर भी लगाया है...
कुल मिलाकर सरकार ने गुलामी को याद दिलाया है...
सब करों पर अंग्रेजी टैक्स और जजिया कर का साया है..
देश का स्वर्णिम युग आया है गुलामों की तरह हर चीज पे कर लगाया है..
वाह रे सरकार तुनने इतने सालों मे सब कुछ व्यापार बना दिया...
इंसान को इंसान की जान का दुश्मन बना दिया...
पैसो की खातिर पागल हो कर सामाजिक तानाबाना ढहा दिया...
कोई किसी का नहीं सब पैसे के ये वाक्य सत्य करा दिया...
क्यों खुद की शिक्षा पद्धति पर तुमने कोई नहीं काम किया...
बडे बडे वादों के जुमले से बस राजनीति को चमका लिया...
दुनिया में नाम बनाने वाले दुनिया से अलग हमारी पहचान थी...
दुनिया की होड़ करते करते अपने आधार को मिट्टी में मिला दिया...
क्या यही है वो सोने की चिड़िया जहाँ जनता को शोषित करते गये..
कर वसूली करने की खातिर अत्याचार के नियम बनते गये..
क्यों सांस्कृतिक मूल्यों को जान कर अपना सविधान नहीं लिखा गया...
दुनिया में नाम कमाने की खातिर जनता को खूब लूटा गया...
कोई हिसाब नहीं मांगता सरकार से अपने मेहनत की लूट का...
सरकार को कभी नही समझ आयेगा पीछा छुड़ना पश्चिमी छूट का...
अदालते भी कुछ परिवारों की जागीर ऐसे हो गई...
फैसले दिये अंग्रेजो के क़ानूनो को पढ कर अपनी संस्कृति खो गई ....
ना जुर्म कोई बस सजा मिली जिसने सच को अपनाया...
झूठ का हाथ पकड़ के इंसान न्याय भी जीत लाया...
जो जीता नहीं जाता वो खरीदा लिया जाता है....
भ्रष्टाचार का फैसला पैसो में मनचाहा करवा लिया जाता है...
ये देश हमारा महान और महान हमारी सरकार है...
बस एक दिन उस फैसले का इंतेज़ार है...
जब समझ सरकार को आएगा की सब कुछ यही छोड़ना है...
क्यों परेशान देश को करना है नंबर वन बन के हमको क्या करना है...
कोई नंबर नहीं देखेगा जो सामजिक होगा उसकी जीत है...
फुट डालो और राज करों ये बस अंग्रेजो की नीति है ...
उसको आगे बढ़ा के राज क्यों देश पर करना है...
सबको अंग्रेज बनना है तो क्यों नाम अलग रखना है...
क्यों वो ही अकेला पप्पू है आपको भी उसका ही अंकल बनना है...
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