लक्ष्य सबके वहीं है यहाँ
इस सपनो की दुनिया में...
कोई बनना चाहता है चिकित्सक
कोई बनना चाहता है शिक्षक...
कोई बनना चाहता है सैनिक
कोई बनना चाहता है वैज्ञानिक...
कोई बनना चाहता है खिलाडी
कोई बनना चाहता है व्यापारी....
कोई बनना चाहता है अभियंता
कोई जीतना चाहता दुनिया सारी...
सब के सब नादान बने है
रटे रटाये लक्ष्य बनाये...
जीवन भर वो जान ना पाये
क्यों जन्म लेकर हम यहाँ है आये...
बनने को बड़ा इस दुनिया मे
बड़े लक्ष्य पाने को लड़ते आये...
सपनो में खो कर वो अपने
सच्चाई को कभी देख ना पाये...
बनना है तो बड़े बनो पर
इंसान पहले बन कर दिखलाये...
मुझे कुछ नहीं बनना है
बस इंसान को जिन्दा रखना है...
दुनिया बन गई कठपुतली
खुद को काबू मे रखना है....
और चाहे कुछ बनु ना बनु
अच्छाई के रास्ते पे चलना है...
मुझे स्वार्थी इस दुनिया में
दिखावा कुछ नहीं करना है...
ना सपना मेरा कोई बस लक्ष्य एक है
कि मुझे अच्छा इंसान बनना है...
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