Wednesday, 23 March 2022

शब्द

शब्दों से संसार है सारा...

शब्दों से चलता है गुजारा...

शब्दों से फूलों की बारिश....

शब्दों से उजड़े जग सारा...

शब्दों से पाते है इज्जत....

शब्दों से होते बेइज्जत....

शब्दों से बनती है कहानी...

शब्दों से दिखते अभिमानी...

शब्दों से होता ईमान है...

शब्दों से होती है बेईमानी....

शब्दों से समय की परिभाषा...

शब्दों से बनती है भाषा....

शब्दों से बंधती है हिम्मत...

शब्दों से आता है साहस...

शब्दों से होती है जंग....

शब्दों से बदले है रंग....

शब्दों को सोच समझ कर....

रखो अपने मुख के संग....

शब्दों को बनाती वाणी....

जो सही समझें बनती है जिंदगी....

ना समझे मिट जाये जिंदगानी....

शब्दों का है खेल निराला...

करवा देते है मुँह काला...

खाली पेट को पल में भर दे..

मुँह से वापिस छीने निवाला...

शब्दों से हो जाते महान...

शब्दों से आगे बढ़ता ज्ञान...

शब्दों से भविष्य बनते...

शब्द करते इतिहास का बखान...

शब्दों से बनते है मुर्ख..

शब्द ही बनाते विद्वान...

शब्दों से है सृष्टि सारी...

बिना शब्द जीना है भारी...

शब्दों से सब अपने बनते ...

शब्द ही करते पराया...

शब्द ही सबको लड़वाते...

शब्द से कोई सबको जीत लाया..

शब्दों की महिमा दुनिया मे...

बिरला ही समझ पाया...

शब्द से रामायण हुईं...

और शब्दों से ही महाभारत...

शब्दों से होता है आदर...

शब्द ही करा दे निरादर...

मर कर भी कर जाते अमर...

जीते जी खुदवाते क़ब्र...

शब्दों से बढ़ती घटती क़द्र ....

शब्दों से हो जाता ग़दर...

जिंदगी में हमेशा रखो सब्र....

शब्द इस्तेमाल करो सोच समझ कर...


Tuesday, 22 March 2022

मतलब

 ना कोई किसी का प्यारा है

ना कोई किसी की प्यारी है

मतलब का है जमाना सारा

मतलब की दुनियादारी है

मतलब से ही अपने है

मतलब से ही पराये है

मतलब ही तो जोड़े है

मतलब ही तो तोड़े है

मतलब से ही सब प्यारे है

मतलब से ही लगते न्यारे है

मतलब ही सब कुछ बोलता है

मतलब ही सब कुछ तौलता है

मतलब से ही कोई सच्चा है

मतलब से ही लगता अच्छा है

मतलब ही बनाता बुरा है

मतलब से ही अधूरा है 

मतलब से ही तो पूरा है

मतलब से ही मिलता साथ है

मतलब ही चलता दिन रात है

मतलब ही करता जिन्दा है

मतलब ही बनाता गन्दा है

मतलब ही मरवाता है

मतलब ही जिन्दा रहना सिखाता है

मतलब से सब पास है

मतलब से सब दूर है

मतलब से ही तो इंसान होता मज़बूर है

मतलब से ही  ख्वाहिश है

मतलब से ही फरमाइश है

मतलब से ही बंदिश है

मतलब से ही आज़ादी है

मतलब से ही खुशियाँ है

मतलब से बर्बादी है 

मतलब से ही भगवान है

मतलब से ही चलते प्राण है 

मतलब से चलती है  दुनिया 

मतलबी हर इंसान है 




Thursday, 17 March 2022

रंग बदलता इंसान

 कभी अपना कभी पराया....

कभी धूप कभी छाया....

कभी जिंदगी कभी मौत का साया....

हर वक़्त इंसान बदलता आया....

चलते चलते थका थका सा.....

हसते हसते रोया रोया सा.....

पाते पाते खोया खोया सा....

जागते हुए भी सोया सोया सा...

रुक रुक कर चल रहा है...

हर पल इंसान बदल रहा है....

जिंदगी से खेलता हुआ...

सब दुःखो को झेलता हुआ...

जबरदस्ती समय को धकेलता हुआ....

संभल संभल कर गिरता हुए....

उठ उठ कर यूँ चल रहा है....

समय के साथ इंसान बदल रहा है....

कुछ खोज रहा है...

लूट मौज रहा है...

सब कुछ लग बोझ रहा है...

हाथों में ले कर के सपने.....

आगे आगे निकल रहा है...

इंसान रंग बदल रहा है....

मतलब से बोले दुनिया में...

मतलब से बनाता रिश्ता....

मतलब से साथ होकर...

बिना मतलब का बन कर दिखाता....

खुद को धोखे में रख कर.....

इंसान ना जाने कितने रंग बदल कर 

गिरगिट को भी हराता है....

इसलिये इंसान आज के युग में....

जानवर से बड़ा बन जाता है...

अपने रंग को बदल बदल कर....

नये नये रंग सामने लाता है....

और जीत के दुनिया में आगे चल कर....

खुद को हारा हुआ पाता है....

सब कुछ मिलने कि चाहत में....

कुछ भी पास नहीं रह जाता है...

पता है सब कुछ फिर भी ना जाने...

क्यों असली रंग नहीं पहचान पाता है...

बार बार एक नया रंग जरूरत से बदल जाता है.....

Tuesday, 15 March 2022

मर कर जिन्दा

भारत माँ के वीर सपूत.....

होते थे देवों के दूत....

जो देखता आँख उठा कर....

मुक्ति देते बन यमदूत ....

चलते जब हिलते थे पर्वत....

कदम से कदम मिला कर...

बढ़ते आगे तान के सीना....

भागे ना पीठ दिखा कर....

लड़कर दुश्मन के प्राण निकले....

अपना हथियार उठा कर....

डरते ना थे मौत से कभी....

जीते थे सर उठा कर.....

हसते हसते प्राण त्यागते....

धन्य होते वीरगति को पाकर....

प्रण लेते और निभाते....

दुश्मन भी दूर भाग जाते....

युद्ध भूमि में जब वो आते....

महाकाल सी प्रलय मचाते.....

रण में दुश्मन को धुल चटाते....

मृत्यु के बाद भी धर्म निभाते....

ऐसे होते थे वीर देश के....

जो आज बहुत कम पाते...

दुःख होता मन सोच सोच कर....

क्यों नाच नाच लोग दिखाते....

क्यों भूल गये अपने आदर्शो को...

क्यों तमाशा बना खुश हो जाते....

क्या यही देश है जिसने अपने वीरों कि क़ुरबानी को भूला दिया....

त्याग तपस्या धैर्य सहित सारे गुणों को झुठला दिया.....

खुद के लिये जीने का प्रण कब से हमने बना लिया....

क्यों अपने संस्कारो को भूला कर खुद को ही मिटा लिया...

ये कैसे जीते जी हमने अपनी मौत को चूम लिया....

मार कर खुद को ना जाने कैसे जिन्दा रहना सीख लिया...






Sunday, 13 March 2022

सच है कि भगवान है

 ये तो सच हैं कि भगवान हैं....

देख कर वो भी परेशान हैं...

क्या कर रहे हम कर्म.....

हो रहा उनको भर्म...

क्या मैने भेजा ये इंसान हैं...   ये तो सच है...

हमको नहीं हैं फ़िक्र...

ना है कोई जिक्र...

ना है हमको सब्र...

ना है कोई भी खबर....

अपनी मस्ती में बस ध्यान हैं...  ये तो सच है....

क्यों लिया है जन्म...

किस लिये आये हम...

क्यों हम भूले शर्म ...

ममता प्यार किया खत्म...

क्यों करते नहीं परिश्रम...

बस पैसा ही अब तो पहचान है...   ये तो सच है....

अपनों से हो के दूर...

रहते है मद में चूर... 

हो गये है मज़बूर...

बस दिखावा ही तो बाकी है....

जिंदगी बन गई दुःख कि झांकी है....

मन में सबके शैतान है....

पल दो पल के ही मेहमान है.... ये तो सच है...









देश का दुर्भाग्य

जहाँ मेरी कभी पहचान थी वीरता,साहस और त्याग....
हर कोई आज यहां इन सब से रहा हैं भाग....
ना शूर रहे ना वीर रहे ना जन्म रहा अब कोई बाघ...
भगवान भी देख रहा है मेरा ये दुर्भाग्य....

हर तरफ बोलबाला है लूट और खसोट का....
इंसान अब भूखा है सिर्फ और सिर्फ नोट का....
ना देखते अपना पराया ना दर्द का अहसास है....
साथ है मतलब से हर शख्श सबको मतलब की प्यास है....

कोई साधु नहीं कोई संत नहीं सब यहाँ दिखावा है....
मीठा बन कर हर कोई यहाँ पर कर रहा छलावा है....
मुझे बेच कर सारा खुद को बनाया जिसने हैं महान...
सब कुछ लूट कर अपनों का बना ली है झूठी शान....

ना ये संस्कार मेरे थे ना ये शिक्षा मेरी थी ...
ना अब ये लोग मेरे वो ये परीक्षा अब मेरी हैं.....
भूल गये है खुद को वो की क्यों जन्म लिया यहाँ ....
खुद लूट रहे मुझे जी भर कर मुझको कैसे बचाएंगे....
इसी लिये मेरे दुर्भाग्य के दिन अभी और आएंगे...




पैसा ही सरकार

व्यापार बना जीने का आधार... हर चीज का बना लिया व्यापार... सब मरने मारने को है तैयार.. पैसा ही घर बार और बना गया जिगरी यार... क्यूंकि करते है...