खो गया भाईचारा खो गया संसार सारा...
खो गया ईमान धर्म हो गया इंसान बेचारा...
खो गई इज्जत आबरू खो गया विश्वास...
खो गया है समाज बस है पैसे की तलाश...
खो गये दानी खो गये विद्वानी...
खो गये जोहड़ कुएँ सूख गया है पानी...
खो गये जबान के पक्के खो गई वो कुर्बानी...
खो गये है रिश्ते नाते खो गई प्यार की निशानी..
खो गये राज पाठ खो गये वो राजा रानी...
खो गया इतिहास खो गये वीर बलिदानी..
खो गये आदर्श खो गया संघर्ष...
बस चल रहा है लूटने का विचार विमर्श...
खो गये संस्कार खो गया व्यवहार...
खो गया आधार हो गया व्यापार....
खो गई दुनियादारी बन गए सब व्यापारी..
खो गई भक्ति खो गई है शक्ति....
खो गया त्याग खो गया बैराग...
खो गया है बचपन खो गया है जीवन...
खो गई है बुद्धि खो गई है शुद्धि..
खो गया ज्ञान खो गया अभिमान...
खो गया ध्यान खो गई शान...
खो गया भगवान हो गये बेजान...
खो गई सच्चाई खो गई अच्छाई...
खो गई दया खो गई शर्म हया...
खो गया है अध्यात्म खो गया है सनातन
खो गई तपोविद्या खो गई पढ़ाई...
खो गया इंसान जगत से बस बची है चतुराई...
चतुर बन जरूरत से ज्यादा खुद अपनी बुला रहे तबाही...
खो जायएगी धरती पल में अगर सदबुद्धि ना आई....
अपना काल सामने खड़ा कर बस आग है हमने लगाई...
खोने वाला है भविष्य अगर अभी नहीं संभले भाई...
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