Tuesday, 14 February 2023

जीवन चक्र

जन्म के बाद अंत और...

अंत के बाद पुनर्जन्म...

यही जीवन की परिभाषा...

यही है जीवनचक्र...

व्यर्थ में व्यथित होने से...

स्तिथि थोड़ी बदलेंगी...

कर्मो पर बल देने से...

परिस्थितिया जरूर बदलेंगी...

ज्ञान का उदघोष धरा पर ...

नव चेतना संचार करेगा...

समय चक्र भी उत्सुकता से ..

नव युग का शंखनाद करेगा...

काल दृष्टि की अनुकम्पा...

कर्मो पे आ के विराजेगी...

भौतिक युग में मानवता...

प्रयोगिकता पर बल देगी...

पर्यावरण को दूषित करके...

जीव तकनीकी बल से चलेगा आगे...

कृत्रिम यांत्रिक रचनाओ से...

कृत्रिम संसार के स्वपन है जागे...

जीवन सरल बनाने को...

मृत्युलोक की ओर है भागे ...

मानव कर्म श्रेष्ठ धर्म परायण...

बुद्धिवान पशु चरित्र अपना के...

मानसिक रोग विकार संग्रह कर..

प्रगति पथ पर बढ़ता आगे...

दूषित मानसिकता दुष्ट विचार त्याग ...

 मानवता को बढ़ाओ आगे...

चिर सनातन संस्कृति अदभुत...

पहचान राष्ट्र की आदि काल से...

आधुनिकता का धरा आवरण...

संस्कार भूले बोल चाल मे...

कृत्रिम युग में मशीनी भाषा...

तोड़ दी सांसारिक आशा...

परम्पराए संस्कार की जननी...

बिछड़ गुणों से हो गये धनी...

स्वर्ण आभूषण तन पर विराज...

मन चंचल प्रलोभनमय आज...

विकराल रूप प्रकृति दिखाती...

संकेत अंत निकट अनुभव कराती...

विधाता अमर अलौकिक शक्ति...

मृत्युकाल निकट तो जागे भक्ति...

सम्पूर्ण जीवन काल स्मरण धरा पर...

मोह और माया पाश मे अटका पा कर...

आई जीवन विहीन समय की बेला...

हमेशा स्वयं को पाता अकेला...

होता है अंतिम पड़ाव स्वर्ग नर्क का...

अंत काल विराम हो जब जीवन चक्र का...















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पैसा ही सरकार

व्यापार बना जीने का आधार... हर चीज का बना लिया व्यापार... सब मरने मारने को है तैयार.. पैसा ही घर बार और बना गया जिगरी यार... क्यूंकि करते है...